सिम स्वैपिंग से ठगीं ट्रांसफर कर लिए 7.5 करोड़, कंपनी के मालिक से फ्राॉड...

सिम स्वैपिंग से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस प्रकार की ठगी में साइबर अपराधी पीड़ित के फोन नंबर को किसी अन्य सिम पर ट्रांसफर करवा लेते हैं और उसके बाद बैंकिंग और अन्य संवेदनशील जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं।

इस मामले में:
एक रिपोर्ट के अनुसार, सिम स्वैपिंग के जरिए 7.5 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जिसमें एक कंपनी के मालिक को निशाना बनाया गया। अपराधियों ने पहले व्यक्ति की पहचान और व्यक्तिगत जानकारी चुराई। इसके बाद, उन्होंने व्यक्ति के सिम को स्वैप किया और बैंक खाते तक पहुंचकर पैसे ट्रांसफर कर लिए।

1. सावधान रहें: अगर आपका मोबाइल नेटवर्क अचानक काम करना बंद कर दे, तो तुरंत अपनी टेलीकॉम कंपनी से संपर्क करें।

2. कॉल और एसएमएस की जांच करें: अगर आपको अनजान नंबर से कॉल्स या संदिग्ध एसएमएस मिलते हैं, तो उन्हें अनदेखा न करें।

3. स्ट्रॉन्ग पासवर्ड और 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें: अपने बैंक और अन्य डिजिटल अकाउंट्स को अधिक सुरक्षित बनाएं।

4. फिशिंग से बचें: किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

5. संदेहजनक गतिविधि की रिपोर्ट करें: बैंक और टेलीकॉम सेवा प्रदाता को किसी भी अनधिकृत गतिविधि की तुरंत सूचना दें।

अगर ठगी हो जाए तो:

1. अपने बैंक को तुरंत सूचित करें और अपने खाते को ब्लॉक करवाएं।

2. साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें।

3. पुलिस में रिपोर्ट करें।

इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए सतर्क रहना बहुत जरूरी है

सिम स्वैपिंग फ्रॉड एक ऐसा साइबर अपराध है जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति की सिम कार्ड को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं और उसे विभिन्न प्रकार के वित्तीय और व्यक्तिगत डेटा चोरी के लिए उपयोग करते हैं। इस प्रकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, और बड़ी राशि की ठगी भी इसमें शामिल हो सकती है।

सिम स्वैपिंग कैसे काम करती है?

1. पीड़ित की जानकारी इकट्ठा करना:

अपराधी पहले पीड़ित की व्यक्तिगत जानकारी (जैसे नाम, जन्मतिथि, पता, मोबाइल नंबर आदि) को फिशिंग, सोशल इंजीनियरिंग, या डेटा लीक के जरिए प्राप्त करते हैं।

2. सिम स्वैप करना:

वे इस जानकारी का उपयोग करके मोबाइल सेवा प्रदाता से संपर्क करते हैं और खुद को असली ग्राहक साबित करके सिम कार्ड को नया सिम जारी करने का अनुरोध करते हैं।

3. सिम एक्टिवेशन:

नया सिम एक्टिवेट होने के बाद, असली पीड़ित का सिम निष्क्रिय हो जाता है, और अपराधी पीड़ित के मोबाइल नंबर से ओटीपी (OTP) और अन्य संवेदनशील जानकारी एक्सेस कर लेते हैं।

4. फाइनेंशियल फ्रॉड:

इस जानकारी का उपयोग करके अपराधी बैंक खातों, ई-वॉलेट, और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से पैसे निकाल लेते हैं।

ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जाए?

1. मोबाइल नंबर की सुरक्षा करें:

अपनी व्यक्तिगत जानकारी (जैसे आधार नंबर, मोबाइल नंबर आदि) को किसी अंजान व्यक्ति या प्लेटफॉर्म के साथ साझा न करें।

सोशल मीडिया पर अधिक निजी जानकारी शेयर करने से बचें।

2. टेलीकॉम अलर्ट्स पर ध्यान दें:

aगर आपको अपना सिम बंद होने या किसी संदिग्ध गतिविधि का मैसेज/अलर्ट मिलता है, तो तुरंत अपने टेलीकॉम ऑपरेटर से संपर्क करें।

3. 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें:

बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट्स के लिए 2FA (Two-Factor Authentication) को इनेबल करें।

सुनिश्चित करें कि ओटीपी केवल आपके फोन पर आता है।

4. मोबाइल बिल और बैंक स्टेटमेंट की नियमित जांच करें:

कसी भी अनजान ट्रांजेक्शन या संदिग्ध गतिविधि की जांच करें।

5. सिम लॉक/पिन सेट करें:

Aपने सिम कार्ड पर पिन सेट करें ताकि कोई दूसरा व्यक्ति इसे एक्सेस न कर सके।

ठगी का शिकार होने पर क्या करें?

1. सिम ब्लॉक करवाए

तुरंत अपने मोबाइल सेवा प्रदाता से संपर्क करें और अपने सिम को ब्लॉक करवाएं।

2. बैंक को सूचित करें:

बैंक को तुरंत कॉल करके अपने खाते को ब्लॉक करें और ओटीपी-आधारित लेन-देन को रोकने का अनुरोध करें।

3. साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें:

भारत में आप साइबर क्राइम पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाएं।

4. बैंकिंग ओम्बड्समैन की मदद लें:

अगर बैंक सहयोग नहीं करता है, तो आप बैंकिंग ओम्बड्समैन से संपर्क कर सकते हैं।

प्रमुख सावधानियां:

अज्ञात कॉल्स पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें।

अगर कोई कॉलर खुद को बैंक प्रतिनिधि बताकर आपसे ओटीपी या पासवर्ड मांगता है, तो सावधान रहें।

अपने मोबाइल नेटवर्क के अचानक बंद हो जाने पर तुरंत जांच करें।

सतर्कता और जागरूकता से ही इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

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